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क्षतिपूरक (Compensation) पेंशन – नियम 38

राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम, 1996 के अनुसार, जब किसी सरकारी कर्मचारी का विभाग द्वारा स्वीकृत पद स्थायी रूप से समाप्त कर दिया जाता है, जिसके कारण उसे सेवा से मुक्त कर दिया जाता है, तो उसे मुआवजा (क्षतिपूरक) पेंशन दी जाती है। इस पेंशन का उद्देश्य उस कर्मचारी को उसकी सेवा के दौरान उस पद के उन्मूलन से होने वाले आर्थिक नुकसान का कुछ हद तक भरपाई प्रदान करना है।

मुख्य बिंदु:

  • पद समाप्ति के कारण: यदि विभाग में स्वीकृत किसी पद को समाप्त कर दिया जाता है और कर्मचारी को सेवा से निकाला जाता है, तो यह प्रावधान लागू होता है।
  • पेंशन की गणना: मुआवजा पेंशन की गणना कर्मचारी के अंतिम पेंशन योग्य परिलब्धियाँ, अर्हकारी सेवा अवधि तथा नियम में निर्धारित सूत्रों के आधार पर की जाती है।
  • न्यूनतम सीमा: इस पेंशन में निर्धारित न्यूनतम मान का ध्यान रखा जाता है, ताकि कर्मचारी को क्षतिपूर्ति के तौर पर पर्याप्त लाभ मिले।
नीचे नियम 38 का संक्षिप्त और विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:

नियम 38 – क्षतिपूरक (Compensation) पेंशन
(राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम, 1996)

  1. यदि किसी सरकारी कर्मचारी का विभाग में स्वीकृत पद स्थायी रूप से समाप्त कर दिया जाता है, जिसके कारण उसे सेवा से मुक्त कर दिया जाता है, तो उसे मुआवजा (क्षतिपूरक) पेंशन प्रदान की जाती है।
  2. इस पेंशन की गणना कर्मचारी द्वारा सेवा में बिताए गए समय, उसके अंतिम निर्धारित पेंशन योग्य परिलब्धियाँ और नियम में निर्धारित सूत्र के अनुसार की जाती है।
  3. मुआवजा पेंशन का उद्देश्य कर्मचारी के उस आर्थिक नुकसान का मुआवजा देना है जो पद के उन्मूलन के कारण हुआ है।
  4. मुआवजा पेंशन की राशि न्यूनतम उस दर के बराबर होनी चाहिए जो पारिवारिक पेंशन के लिए निर्धारित है, तथा इसे पूर्ण अमान्य पेंशन की सीमा से अधिक नहीं रखा जा सकता।
  5. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि जब किसी पद की समाप्ति के कारण कर्मचारी सेवा से मुक्त होता है, तो उसे उसके द्वारा दी गई सेवा के बदले उचित मुआवजा प्राप्त हो।

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