राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम, 1996 के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी राज्य सरकार की अनुमति से केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित स्वायत्तशासी संस्था, कारपोरेशन या कम्पनी में आमेलित/समायोजित हो जाता है, तो उसे राज्य सरकार में दी गई सेवा के आधार पर जो पेंशन लाभ प्रदान किए जाते हैं, वे उसी श्रेणी में आते हैं। यानी, कर्मचारी की राज्य सरकार में की गई सेवा की गणना करते हुए उसी के अनुसार पेंशन निर्धारित की जाती है, चाहे वह अब किसी अन्य संगठन में आमेलित/समायोजित क्यों न हो जाए।
यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि जब कर्मचारी को स्वायत्त या निजी क्षेत्र में आमेलन की अनुमति मिल जाती है, तो उसकी सेवा की गणना एवं उससे मिलने वाले पेंशन लाभ में कोई कटौती नहीं की जाती है और उसे वही लाभ प्राप्त होते हैं जो राज्य सरकार में सेवा करने पर मिलते।
इसका अर्थ यह है कि:
कर्मचारी की अर्हकारी सेवा की गणना में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जाती, भले ही वह अब किसी स्वायत्त या अन्य संस्था में आमेलित हो चुका हो।
उसे वही पेंशन लाभ मिलते हैं जो उसके द्वारा राज्य सरकार में दी गई सेवा के अनुसार निर्धारित किए गए हैं।
यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि आमेलन/समायोजन के कारण कर्मचारी के पेंशन लाभ में कोई हानि न हो।
यह नियम (नियम 33) कर्मचारी के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि संगठन परिवर्तन के बावजूद, उसके द्वारा दी गई सेवा का पूरा लाभ उसे प्राप्त हो सके।